सुधारों की डगर पर हरियाणा

विनियामक बोझ घटा, सुविधा बढ़ी

चंडीगढ़, 17 अक्टूबर-पारदर्शी और निवेशक-अनुकूल वातावरण तैयार करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, हरियाणा ने अपने महत्वाकांक्षी अनुपालन में कमी और विनियमन सुधार (डीरेगुलेशन) कार्यक्रम में उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है।

मुख्य सचिव श्री अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में आज यहां हुई एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में राज्य की सुधार पहलों की समीक्षा की गई। इन पहलों का उद्देश्य हरियाणा को देश का सबसे कारोबार-अनुकूल राज्य बनाना है।

बैठक में बताया गया कि 5 सुधार बिंदु पूर्ण रूप से लागू किए जा चुके हैं, 14 सुधार बिंदुओं पर कार्य प्रगति पर है और 3 केंद्र सरकार के विचाराधीन हैं। यह उपलब्धि नियामक बोझ कम करने और विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को प्रोत्साहित करने की राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

मुख्य सचिव श्री अनुराग रस्तोगी ने कहा कि डीरेगुलेशन का उद्देश्य केवल कागजी कार्रवाई कम करना नहीं, बल्कि सरकार और नागरिकों के बीच विश्वास को सुदृढ़ करना है। हरियाणा को अनुपालन दक्षता, व्यवसाय सुविधा और सार्वजनिक पारदर्शिता में राष्ट्रीय मानक स्थापित करने होंगे।

नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग ने भूमि उपयोग परिवर्तन (सीएलयू) प्रक्रिया में ऐतिहासिक बदलाव करते हुए दस्तावेज़ों की संख्या घटाकर केवल तीन कर दी है। इनमें स्वामित्व प्रमाण, परियोजना रिपोर्ट और क्षतिपूर्ति बांड शामिल हैं। निर्दिष्ट औद्योगिक क्षेत्रों के लिए तत्काल सीएलयू अनुमतियाँ शुरू की गई हैं, जबकि एमएसएमई इकाइयों को सरलीकृत अनुमोदन मानदंडों का लाभ दिया गया है। ये सुधार डीरेगुलेशन पोर्टल पर उपलब्ध हैं।

भवन निर्माण नियमों को अधिक व्यावहारिक और लचीला बनाया गया है। अब सुरक्षा मानदंड पूरे करने पर पूरे ज़ोन एरिया में ग्राउंड कवरेज की अनुमति दी गई है। ऑक्यूपेशन और कम्प्लीशन सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए आवश्यक दस्तावेज़ों की संख्या घटाकर तीन कर दी गई है। साथ ही, स्व-प्रमाणन का दायरा बढ़ाकर उच्च जोखिम वाले भवनों को भी शामिल किया गया है, जिसे 31 अक्टूबर, 2025 तक लागू कर दिया जाएगा।

महिलाओं के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के मकसद से श्रम विभाग ने पहले ‘खतरनाक’ श्रेणी में वर्गीकृत उद्योगों में महिलाओं के कार्य करने पर लगी रोक हटा दी है। अब उपयुक्त सुरक्षा उपायों के साथ महिलाओं को रात के समय कार्य की अनुमति दी गई है।

दुकान एवं प्रतिष्ठान अधिनियम के तहत अनुपालन की सीमा बढ़ाकर 20 श्रमिकों तक कर दी गई है, जिससे छोटे व्यवसायों पर बोझ में कमी आई है।

दुकान पंजीकरण की समयसीमा 15 दिनों से घटाकर केवल 1 दिन कर दी गई है।

कार्य घंटों की सीमा को भी युक्तिसंगत बनाते हुए अब 10 घंटे प्रतिदिन, 48 घंटे साप्ताहिक और 144 घंटे प्रति तिमाही ओवरटाइम की अनुमति दी गई है। अब तक 11 कारखानों को ऑनलाइन छूट दी जा चुकी है।

हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सहमति प्रक्रिया की समय-सीमा 30 कार्यदिवसों से घटाकर 21 कार्यदिवस कर दी है। कम जोखिम वाले उद्योगों के लिए स्वतः नवीनीकरण और स्व-प्रमाणन प्रणाली लागू की गई है। हरित श्रेणी की इकाइयों के लिए थर्ड पार्टी प्रमाणन प्रणाली विकसित की जा रही है।

अब तक 712 गैर-प्रदूषणकारी उद्योग क्षेत्रों को श्वेत श्रेणी में पुन:वर्गीकृत किया गया है, जिन्हें प्रदूषण नियंत्रण की सहमति आवश्यकताओं से छूट प्रदान की गई है।

अग्नि सुरक्षा एनओसी की वैधता बढ़ाकर अब कम जोखिम वाले प्रतिष्ठानों के लिए 5 वर्ष तथा उच्च जोखिम वाले प्रतिष्ठानों के लिए 3 वर्ष कर दी गई है।

थर्ड पार्टी निरीक्षण व्यवस्था 15 नवंबर, 2025 तक लागू कर दी जाएगी। इन्वेस्ट हरियाणा पोर्टल के माध्यम से भूजल अनुमति सहित बिजली और पानी कनेक्शन की स्वीकृतियों की समय-सीमा   90 दिन से घटाकर 45 दिन कर दी गई है।

हरियाणा ने 12 अक्टूबर, 2025 को राज्य स्तर पर जन विश्वास अध्यादेश लागू करके ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है।

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