शिशुओं के लिए है घातक, 9% मृत्युदर, जानें इलाज और बचाव के उपाय
मध्य प्रदेश के जबलपुर संभाग में डायरिया से 17 लोगों की मौत हो गई है। जबलपुर और मंडला जिले में 6-6 मौतें हुईं, जबकि डिंडोरी जिले में 5 लोगों की मौत हुई है। स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्रीय निदेशक संजय डी. मिश्रा के मुताबिक, डायरिया से कुल 800 लोग बीमार हुए थे, जिसमें अलग-अलग जिलों में कई लोगों की मौत हो गई।
मानसून सीजन में बारिश के कारण दूषित पानी समेत कई कारणों से डायरिया का खतरा बढ़ जाता है। मध्यप्रदेश में इस साल सामान्य से अधिक बारिश हो रही है। यही कारण है कि चारों ओर जलभराव के कारण बैक्टीरिया पनपने और हाइजीन मेन्टेन न हो पाने के कारण डायरिया के केस बढ़ रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, डायरिया बहुत घातक बीमारी नहीं है। समय पर इलाज और देखभाल से इसे ठीक किया जा सकता है। लेकिन यदि समय पर इलाज न मिले तो यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है।
5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में डायरिया मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है और हर साल यह पूरी दुनिया में लगभग 4 लाख 44 हजार बच्चों की मौत का कारण बनता है। 5 साल से कम उम्र के बच्चों में डायरिया से मृत्यु दर 9% तक है। अगर डायरिया कई दिनों तक रहे तो डिहाइड्रेशन हो सकता है, जो कि घातक है।
- डायरिया होने के प्रमुख कारण क्या हैं?
- इसके क्या लक्षण होते हैं?
- इसका इलाज क्या है और इससे बचने के उपाय क्या हैं?
डायरिया यानी डिसेंट्री या लूज मोशन। ऐसी मेडिकल कंडीशन, जब हमें बार-बार मलत्याग की जरूरत महसूस हो, साथ ही मल पानी जैसा पतला हो गया हो तो यह डायरिया है। डायरिया किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। आमतौर पर कुछ ही दिनों में यह अपने आप ठीक भी हो जाता है। अगर इसमें सुधार नहीं दिख रहा है या फिर डायरिया के साथ बुखार या मल में खून जैसे लक्षण दिख रहे हैं तो तुरंत ट्रीटमेंट की जरूरत होती है।
डायरिया क्यों होता है
डायरिया होने का मुख्य कारण नोरोवायरस है, जो हमारी आंत को संक्रमित करके एक मेडिकल कंडीशन ‘गैस्ट्रोएंटेराइटिस’ पैदा करता है। इसे मेडिसिन की भाषा में ‘स्टमक फ्लू’ भी कहा जाता है। हालांकि डायरिया के कई कारण हो सकते हैं।